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Holi 2022 | होली । Holika Dahan | होलिक दहन । Holi Utsav | Holi Festival

Holi 2022: कब है होली? जानें तिथि व होलिका दहन का शुभ मुहूर्त फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन/ Holika Dahan होता है। अगले दिन होली का त्योहार रंगों/ Festivals of Colors के साथ मनाया जाता है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: होलिका दहन तिथि - 17 मार्च (सोमवार) होलिका दहन शुभ मुहूर्त- रात 9 बजकर 20 मिनट से देर रात 10 बजकर 31 मिनट तक। होली - 18 मार्च (मंगलवार) होली/ Holi से 8 दिन पहले यानी 10 मार्च से होलाष्टक लग जाएगा। इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है। यदि आप अपनि राशि कि दैनिक राशिफल / Daily Horoscope पढना चाहते है तो इस लिंक पर क्लिक करें।

Holi 2022: कब है होली? जानें तिथि व होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

Holi 2022: फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होता है। अगले दिन होली का त्योहार / Holi Festival रंगों के साथ मनाया जाता है। आइये जानते हैं क्या है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त। होलिका दहन तिथि - 17 मार्च (सोमवार) होलिका दहन शुभ मुहूर्त- रात 9 बजकर 20 मिनट से देर रात 10 बजकर 31 मिनट तक होली - 18 मार्च (मंगलवार) होली से 8 दिन पहले यानी 10 मार्च से होलाष्टक लग जाएगा। इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है। होलाष्टक के दिन से होली की तैयारी शुरू हो जाती है। कैसे किया जाता है होलिका दहन? होलिका दहन/ Holika Dahan वाली जगह पर कुछ दिनों पहले एक सूखा पेड़ रख दें। होलिका दहन के दिन उस पर लकड़ियां, घास और उपले रख दें। शुभ मुहूर्त में परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य से अग्नि प्रज्वलित कराएं। होली से जुड़ी पौराणिक कथा होली /Holi 2022 से जुड़ी अनेक कथाएं इतिहास-पुराण में पाई जाती हैं। इसमें हिरण्यकश्यप और भक्त प्रहलाद की कथा सबसे लोकप्रिय है। यदि आपको होली से जुड़ी अन्य पौराणिक कथाओं को पढ़ना है, अथवा आप अपनी दैनिक राशिफल / Daily Horoscope पढना चाहते है तो इस लिंक पर क्लिक क

Maha Shivratri 2022: कब है महाशिवरात्रि? जानें मुहूर्त पर और पूजा की विधि

Mahashivratri 2022 : फाल्गुन की कृष्ण चतुर्दशी पर देवों के देव महादेव का पर्व महाशिवरात्रि मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सौभाग्य में वृद्धि होती है और इसके साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है इसके अलावा इस दिन रुद्राभिषेक करने से जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं और आपकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। चलिए जानते हैं, इस बार महाशिवरात्रि पर किसी मुहूर्त और कैसे पूजा करने से हो सकती है सभी मनोकामनाएं पूर्ण। महाशिवरात्रि जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें 2022 में महाशिवरात्रि के लिए शुभ तिथि का आरंभ 1 मार्च, मंगलवार के दिन सुबह 3 बजकर 16 मिनट से होगा। वहीं चतुर्दशी तिथि का समापन 2 मार्च, बुधवार के दिन सुबह 10 बजे होगा। यह भी पढे: Which temples in India host Shivratri ? पूजन के लिए शुभ मुहूर्त/Mahashivratri 2022 Shubh Muhurat पहले प्रहर की पूजा - 1 मार्च, 2022 शाम 6 बजकर 21 मिनट से रात्रि 9 बजकर 27 मिनट तक दूसरे प्रहर की पूजा - 1 मार्च रात्रि 9 बजकर 27 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक तीसरे प्रहर की पूजा - 1 मार्च रात्रि 12 बजकर 33 मिनट से सुबह 3 बजकर 39 मिनट तक चौथे प्रहर की पूजा - 2 म

Maha Shivratri: Top temples in India that host the Holy Shivratri

Maha Shivratri : यह नहीं देखा तो क्या देखा – आखिर कौन से एसे 5 मंदिर है जो महाशिवरात्रि के पर्व के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में काशी कॉरिडोर/ Kashi Corridors बन कर तैयार हुआ है। तभी से महाशिवरात्रि पर धूम धड़ाके की उम्मीद की जा रही है। ऐसे में आपको भी पता होना चाहिए कि भारत में कहां कहां धूमधाम से मनाई जाती है महाशिवरात्रि। चलिए जानते हैं कि ऐसे कौन से पांच मंदिर है जो महाशिवरात्रि के पर्व के लिए जाने जाते हैं। मंडी : हिमाचल का एक छोटा सा गाँव है मंडी, जहां महाशिवरात्रि पर मेला लगता है। मंडी का भूतनाथ मंदिर शिव भक्तों के लिए खास आकर्षण लेकर आता है। मंडी गांव में सप्ताह भर चलने वाला मेला संस्कृति और परंपरा से पूर्ण होता है जो विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को आकर्षित करता है। हरिद्वार और ऋषिकेश: उत्तराखंड भक्तों और साधुओं का घर है। जबकि हर की पौड़ी घाट/ Har ki Pauri Ghat मृतकों के दाह संस्कार के लिए जाना जाता है। ऋषिकेश, नीलकंठ महादेव मंदिर का घर है, जहाँ योग के प्रति उत्साही लोग योग साधना में डूबे हुए देखे जाते हैं। वाराणसी : वाराणसी में तिलभांडेश्वर मंदिर अपने अनुष्ठानों

Basant Panchami: बसंत पंचमी के दिन क्यों होती है मां सरस्वती की पूजा?

Basant Panchami 2022 : माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन से वसंत ऋतु की भी होती है शुरुआत। चलिए जानते हैं इस पर्व के महत्व, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में। बसंत पंचमी का महत्व : बसंत पंचमी को श्रीपंचमी भी कहा जाता है। यह मां सरस्वती की पूजा का दिन है। इस दिन गृह प्रवेश करना भी शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए जो पति-पत्नी इस दिन भगवान कामदेव और देवी रति की पूजा करते हैं उनका वैवाहिक जीवन में कभी अड़चनें नहीं आती हैं। क्यों होती है मां सरस्वती की पूजा? हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, ज्ञान देवी मां सरस्वती शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं। इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन पूरे विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा करने से वो प्रसन्न हो कर और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। MAHA SHIVARATRI 2022 : जानें तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महा शिवरात्रि व्रत का महत्व   कैसे करें मां सरस्वती को प्रसन्न? बसंत

Sakat Chauth: माघ माह में कब है सकट चौथ का व्रत, जानें तिथि, मुहूर्त और समय

Sakat Chauth 2022 :   माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। इसे लम्बोदर संकष्टी के नाम से भी जानते हैं। इस दिन गणेश जी की पूजा करने और व्रत आदि रखने से सभी संकटों का नाश होता है। परिवार और संतान की रक्षा के लिए सकट चौथ का व्रत हर साल रखा जाता है।  सकट चौथ के दिन गणेश जी की प्रिय चीज दूर्वा और मोदक उन्हें अर्पित किए जाते हैं। इस दिन व्रत के साथ  संकट  चौथ व्रत कथा, गणेश स्तुति, गणेश चालीसा का पाठ किया जाता है। इसके बाद गणेश जी की आरती की जाती है। संकट चौथ के दिन व्रत रखा जाता है और रात को चंद्रोदय के दर्शन के बाद ही उन्हें जल अर्पित करके व्रत का पारण किया जाता है।  इस बार सकट चौथ का व्रत 21 जनवरी के दिन रखा जाएगा। आइए जानते हैं कब है सकट चौथ, पूजा का शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय क्या है। सकट चौथ 2022 तिथि एवं मुहूर्त पंचांग / Panchang के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 21 जनवरी सुबह 08 बजकर 51 मिनट पर है और अगले दिन 22 जनवरी सुबह 09 बजकर 14 मिनट तक है। इस दिन चंद्रमा का दर्शन चतुर्थी तिथि में 21 जनवरी को ही संभव है, इसलिए सकट चौथ

Raksha Bandhan 2021

  भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन / Raksha Bandhan पर्व 22 अगस्त रविवार को है। अगर शुभ मुहूर्त पर राखी बांधी तो बढ़ेगा भाई और बहन के बीच प्यार। रक्षा बंधन पर राखी बांधने का मुहूर्त -  तिथि :रविवार, अगस्त 22, 2021 समय : सुबह 06:15 से सायं 05:31 तक अवधि :11 घंटे 16 मिनट मान्यताओं के अनुसार, द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को हाथ पर लगी चोट पर अपनी साड़ी से कपड़ा फाड़कर बांधा था। तभी से श्री कृष्ण ने द्रौपदी को उनकी रक्षा का वचन दिया था। तभी से राखी बांधने की प्रधा चलती आ रही है। भद्रा का साया नहीं करेगा परेशान रक्षा बंधन के पर्व पर इस बार भद्रा का साया नहीं है। इसका अर्थ है कि अब बहनें अपने भाई को कभी भी बांध सकती है राखी। यदि रक्षाबंधन के बारे में और जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें: https://www.vinaybajrangi.com/hindi/festivals/raksha-bandhan.php दैनिक राशिफल / Daily Horoscope हिंदि मे जाननें के लिए यहां क्लिक करे: https://www.vinaybajrangi.com/hindi/horoscope/daily-horoscope.php

Nag Panchami 2021

नागपंचमी/ Nag Panchami का पर्व 13 अगस्त शुक्ल पक्ष की पंचमी को है। इस नाग पंचमी में उत्तरा योग और हस्त नक्षत्र का विशेष संयोग बन रहा है। ‘समं सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्तं परमेश्वरम्। ’ इसी को ध्यान में रखकर करें नागों की पूजा। इस पर्व पर ‘ओम कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा’ का जाप भी शुभ माना गया है। अधिक जानकारी के लिये यहा क्लिक करे: https://www.vinaybajrangi.com/hindi/festivals.php For English click here: https://www.vinaybajrangi.com/festivals.php