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Gajkesari Yoga - क्यों है खास इस बार का होलिका दहन?

Moon Jupiter Conjunction: होली रंगों का त्योहार है/ Festival of Colors होली से पहले होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है। इस होलिका दहन पर गुरु और चंद्रमा मिलकर बनायेंगे गजकेसरी योग, जिस व्यक्ति की कुंडली में गजकेसरी योग / Gajkesari Yoga होता है वह शेर की भांति अपने शत्रुओं का नाश करता है और हाथी जैसी गज़ब की शक्ति छिपी होती है। इस योग को बहुत शक्तिशाली राजयोग माना जाता है। इस योग के किस राशि के जीवन में होगा बदलाव? सिंह राशि बिज़नेस में कोई बड़ा धन लाभ होने की संभावना है नौकरीपेशा जातकों का प्रमोशन ( Job Promotion by birth chart ) होने के योग बने हुए हैं आपकी सेहत बहुत ही अच्छी रहने वाली है प्रेम और वैवाहिक जीवन अच्छा रहने वाला हैं कुंभ राशि आर्थिक लाभ मिलने की संभावना है प्रेम और वैवाहिक जीवन अच्छा रहने वाला हैं धार्मिक कार्यो मे रुची बढ़ सकती है बिजनेस और नौकरी ( Job or Business by birth chart ) वालों को सफलता इंतजार रहेगा अधिक जानकारी के लिऐ हमारे वेबसाईट पर क्लिक करें यदि आप गजकेसरी योग अथवा आप होलि/ Holi के अवसर पर अपना दैनिक राशिफल / Daily Horoscope पढना चाहते है तो यहा क्लिक कर...

What is the reason for celebrating Holi?

Holy, the festivals of vivid and splashing colors, painting the entire city with shades of happiness, of exultation, verve, and the zest that accompanies the spirit of Holi.  People, Young and old, men or women, rich or poor, participate in the pomp and splendor that breathes a new life into the haggard souls, fatigued by the daily grind. It is a very popular festival that is celebrated amongst the pan-Indian population. Believed to be the day that resolves all personal differences, the Holi is when people splash colors, exchange delicacies, and even participate in musical festivals that are the hallmarks of this period. What is the mythological background behind Holi? Holi originates from the word Holika, which is the name of a demoness sister of king Hiranyakashipu. A pyre of Holika is lit on the day the next day of which Holi comes alive with water Gulaal spraying and delicacies served on platters. The legendary Vishnu devotee, Prahalad, was tortured by his own father, hiranyaka...

Holi 2022 | होली । Holika Dahan | होलिक दहन । Holi Utsav | Holi Festival

Holi 2022: कब है होली? जानें तिथि व होलिका दहन का शुभ मुहूर्त फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन/ Holika Dahan होता है। अगले दिन होली का त्योहार रंगों/ Festivals of Colors के साथ मनाया जाता है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: होलिका दहन तिथि - 17 मार्च (सोमवार) होलिका दहन शुभ मुहूर्त- रात 9 बजकर 20 मिनट से देर रात 10 बजकर 31 मिनट तक। होली - 18 मार्च (मंगलवार) होली/ Holi से 8 दिन पहले यानी 10 मार्च से होलाष्टक लग जाएगा। इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है। यदि आप अपनि राशि कि दैनिक राशिफल / Daily Horoscope पढना चाहते है तो इस लिंक पर क्लिक करें।

Holi 2022: कब है होली? जानें तिथि व होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

Holi 2022: फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होता है। अगले दिन होली का त्योहार / Holi Festival रंगों के साथ मनाया जाता है। आइये जानते हैं क्या है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त। होलिका दहन तिथि - 17 मार्च (सोमवार) होलिका दहन शुभ मुहूर्त- रात 9 बजकर 20 मिनट से देर रात 10 बजकर 31 मिनट तक होली - 18 मार्च (मंगलवार) होली से 8 दिन पहले यानी 10 मार्च से होलाष्टक लग जाएगा। इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है। होलाष्टक के दिन से होली की तैयारी शुरू हो जाती है। कैसे किया जाता है होलिका दहन? होलिका दहन/ Holika Dahan वाली जगह पर कुछ दिनों पहले एक सूखा पेड़ रख दें। होलिका दहन के दिन उस पर लकड़ियां, घास और उपले रख दें। शुभ मुहूर्त में परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य से अग्नि प्रज्वलित कराएं। होली से जुड़ी पौराणिक कथा होली /Holi 2022 से जुड़ी अनेक कथाएं इतिहास-पुराण में पाई जाती हैं। इसमें हिरण्यकश्यप और भक्त प्रहलाद की कथा सबसे लोकप्रिय है। यदि आपको होली से जुड़ी अन्य पौराणिक कथाओं को पढ़ना है, अथवा आप अपनी दैनिक राशिफल / Daily Horoscope पढना चाहते है तो इस लिंक पर क्लिक क...

Holika Dahan: इस होली दहन पर बन रहा है सबसे अच्छा योग जो ला सकता है खुशियों की सौगात

Holika Dahan 2022 : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस होलिका दहन पर बन रहा है गजकेसरी योग। क्या है गजकेसरी योग और क्यों है यह इतना शुभ? एक व्यक्ति की कुंडली में अनेक तरह के योग होते हैं, जिनमें से एक योग का नाम गजकेसरी योग है। किसी भी कुंडली में अगर गुरु और चंद्रमा एक दूसरे से परस्पर केंद्र भावों (1, 4, 7, 10 भाव) में या एक दूसरे की युति में हो तथा दोनों ही बलवान स्थिति में हों, अस्त, नीच, शत्रु राशि या त्रिक स्थानों (6, 8, 12 भाव) में न हों, नवांश आदि कुंडलियों में अपनी नीच राशियों में न हों तो यह ग्रह स्थिति गजकेसरी योग/ Gajkesari Yoga कहलाती है। बलवान गुरु व चंद्र ग्रह की परस्पर केंद्र स्थिति से बनने वाले इस योग में हाथी व सिंह के समान शक्ति छिपी होती है इसलिए ज्योतिष के क्षेत्र में इस योग को अत्यंत शक्तिशाली योग माना जाता है जो राजयोग देता है। किसी भी व्यक्ति को यह योग सफलता की बुलंदियों पर पहुंचा सकता है, इसलिए इस योग/ Yoga को इतना शुभ माना गया है। इस योग के फलस्वरूप व्यक्ति विनम्र, गुणी, शिक्षित, ज्ञानी व विवेकी होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि आप गजकेसरी योग या होली/ Holi...

Maha Shivratri: Top temples in India that host the Holy Shivratri

Maha Shivratri : यह नहीं देखा तो क्या देखा – आखिर कौन से एसे 5 मंदिर है जो महाशिवरात्रि के पर्व के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में काशी कॉरिडोर/ Kashi Corridors बन कर तैयार हुआ है। तभी से महाशिवरात्रि पर धूम धड़ाके की उम्मीद की जा रही है। ऐसे में आपको भी पता होना चाहिए कि भारत में कहां कहां धूमधाम से मनाई जाती है महाशिवरात्रि। चलिए जानते हैं कि ऐसे कौन से पांच मंदिर है जो महाशिवरात्रि के पर्व के लिए जाने जाते हैं। मंडी : हिमाचल का एक छोटा सा गाँव है मंडी, जहां महाशिवरात्रि पर मेला लगता है। मंडी का भूतनाथ मंदिर शिव भक्तों के लिए खास आकर्षण लेकर आता है। मंडी गांव में सप्ताह भर चलने वाला मेला संस्कृति और परंपरा से पूर्ण होता है जो विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को आकर्षित करता है। हरिद्वार और ऋषिकेश: उत्तराखंड भक्तों और साधुओं का घर है। जबकि हर की पौड़ी घाट/ Har ki Pauri Ghat मृतकों के दाह संस्कार के लिए जाना जाता है। ऋषिकेश, नीलकंठ महादेव मंदिर का घर है, जहाँ योग के प्रति उत्साही लोग योग साधना में डूबे हुए देखे जाते हैं। वाराणसी : वाराणसी में तिलभांडेश्वर मंदिर अपने अनुष्ठानों ...

Basant Panchami: बसंत पंचमी के दिन क्यों होती है मां सरस्वती की पूजा?

Basant Panchami 2022 : माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन से वसंत ऋतु की भी होती है शुरुआत। चलिए जानते हैं इस पर्व के महत्व, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में। बसंत पंचमी का महत्व : बसंत पंचमी को श्रीपंचमी भी कहा जाता है। यह मां सरस्वती की पूजा का दिन है। इस दिन गृह प्रवेश करना भी शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए जो पति-पत्नी इस दिन भगवान कामदेव और देवी रति की पूजा करते हैं उनका वैवाहिक जीवन में कभी अड़चनें नहीं आती हैं। क्यों होती है मां सरस्वती की पूजा? हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, ज्ञान देवी मां सरस्वती शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं। इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन पूरे विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा करने से वो प्रसन्न हो कर और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। MAHA SHIVARATRI 2022 : जानें तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महा शिवरात्रि व्रत का महत्व   कैसे करें मां सरस्वती को प्रसन्न? ब...