वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक कुंडली में बहुत सारे दोष/Doshas होते हैं, जिनसे नकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। इन दोषों के बनने के पीछे का कारण आपकी कुंडली के सभी भावों में ग्रहों की खराब स्थिति हो सकती है। आपकी कुंडली में मौजूद राशि या अशुभ ग्रहों या लग्न या नीच ग्रहों का भी बुरा प्रभाव आपको कुंडली दोष के करीब ले जाता है। ऐसी मान्यता है कि कुंडली में दोष, बुरे कर्मों या पिछले जन्म के कर्मों के कारण बनता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली
दोष का सीधा संबंध हमारे जीवन और उसमें आने वाले उतार चढ़ाव से होता है। पिछले
जीवन के दुर्भाग्य और बुरे कर्मों के कारण कुंडली दोष/Kundali dosh उत्पन्न होता है। ज्योतिष के ज्ञाता डॉ विनय बजरंगी ने कुंडली दोष के
5 कारण बताए हैं, जो आपके जीवन को बहुत ज्यादा प्रभावित
कर सकते हैं।
ज्योतिष में पांच प्रकार
के कुंडली दोष और उनके कारण
वैसे तो ज्योतिष में कई प्रकार के कुंडली दोष
है, लेकिन हम उन पांच की बात करने वाले हैं, जो आपके जीवन को
पूरी तरह से प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। एक व्यक्ति की कुंडली में एक से
ज्यादा दोष भी हो सकते हैं। सभी कुंडली दोष एक निश्चित समय अवधि में एक निश्चित
ग्रह की स्थिति का परिणाम होता है। सभी कुंडली दोष व्यक्तियों को अलग अलग प्रकार
से और अलग अलग समय पर प्रभावित करते हैं। इसकी प्रकार उन सभी कुंडली दोष के कारण/Causes
of kundli dosha भी अलग अलग हो सकते हैं। चलिए प्रभावित करने वाले उन पांच कुंडली दोष
और उनके कारण/Kundli dosha and their causes को जानते हैं।
1. कुंडली
में मंगल दोष और उसका कारण – मंगल दोष को कुजा दोष भी कहते हैं और
इस दोष का सीधा संबंध मंगल ग्रह से होता है। यदि मंगल कुंडली में पहले, चौथे,
सातवें
और आठवें भाव में विराजमान हो तो यह व्यक्ति को मंगल दोष देता है। मंगल दोष को मांगलिक
दोष/Manglik
dosh भी कहते हैं और यह व्यक्ति को अलग अलग
प्रकार से प्रभावित कर सकता है, जैसे – विवाह में देरी,
विवाह
में परेशानी, जीवन साथी से अलगाव और इससे भी भयावह स्थिति इस
दोष के कारण उत्पन्न हो सकती है।
2. कुंडली
में कालसर्प दोष – जब हम कुंडली के सबसे खतरनाक दोष के बारे में
बात करते हैं तो हम यह देखते हैं कि काल
सर्प दोष/Kaal
sarp dosh उस सूची में
सबसे उत्तम पर आता है। यह दोष कुंडली में तब बनता है जब सात ग्रह (छाया ग्रहों को
छोड़ कर), राहु और केतु के बीच में आ जाए। ज्योतिष के अनुसार ऐसी मान्यता है कि
यह दोष मनुष्य को 47 वर्ष तक प्रभावित करता है। कुंडली में इस दोष
के कारण सफलता में बाधा, विवाह में देरी/Delay in
marriage, पारिवारिक समस्याएं, खराब स्वास्थ्य, आर्थिक कठिनाई,
धन
की हानि, विश्वासघात, करियर में समस्या जैसी परेशानियों में
डाल सकता है।
3. पितृ
दोष – पितृ दोष कुंडली में तब बनता है जब राहु और शनि एक ही राशि में
विराजमान हो जाएं। ज्योतिषीय ज्ञाताओं के अनुसार, पितृ
दोष/Pitra
dosh पूर्वजों के गलत कर्मों के कारण
उत्पन्न होता है और यह मानव जीवन में कष्ट और समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
4. कुंडली
में नाड़ी दोष – कुंडली में यह दोष तब उत्पन्न होता है
जब एक व्यक्ति अपनी ही नाड़ी के दूसरी व्यक्ति से विवाह कर लेता है। इस दोष के
कारण अस्वस्थ बच्चे के साथ साथ विवाह में भी समस्या हो सकती है। इसलिए हमेशा सलाह
दी जाती है कि आपको कभी भी ऐसे व्यक्ति से विवाह नहीं करना चाहिए, जिसके
साथ कुंडली मिलान करते हुए नाड़ी दोष उत्पन्न हो जाए।
5. दाम्पत्य
बाधा दोष – दाम्पत्य बाधा दोष भी आपकी कुंडली में ग्रहों
की खराब स्थिति के कारण बनता है। यह दोष आपके जीवन में असंतुष्ट वैवाहिक जीवन को
दर्शाता है और इसके कारण जीवन में अस्थिरता भी बनी रहती है।
तो, कुंडली के ये 5 प्रसिद्ध दोष
हैं, जिन्हें हल किया जा सकता है यदि आप डॉ विनय बजरंगी जैसे वैदिक
ज्योतिषी के पास जाकर परामर्श प्राप्त करते हैं।
Source: https://sites.google.com/view/vinaybajrangis/blog/kundli-dosha_1
Comments
Post a Comment